त्रिशूल भगवान शिव का प्रमुख अस्त्र है। यदि त्रिशूल का प्रतीक चित्र देखें तो उसमें तीन नुकीले सिरे दिखते हैं। यूं तो यह अस्त्र संहार का प्रतीक है पर वास्तव में यह बहुत ही गूढ़ बात बताता है।
संसार में तीन तरह की प्रवृतियां होती हैं-सत, रज और तम। सत मतलब सत्यगुण, रज मतलब सांसारिक और तम मतलब तामसी अर्थात निशाचरी प्रवृति। हर किसी में ये तीनों प्रवृतियां पाई जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि इनकी मात्रा में अंतर होता है।
त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शिव यह संदेश देते हैं कि इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। यह त्रिशुल तभी उठाया जाए जब कोई मुश्किल आए। तभी इन तीन गुणों का आवश्यकतानुसार उपयोग हो।
संसार में तीन तरह की प्रवृतियां होती हैं-सत, रज और तम। सत मतलब सत्यगुण, रज मतलब सांसारिक और तम मतलब तामसी अर्थात निशाचरी प्रवृति। हर किसी में ये तीनों प्रवृतियां पाई जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि इनकी मात्रा में अंतर होता है।
त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शिव यह संदेश देते हैं कि इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। यह त्रिशुल तभी उठाया जाए जब कोई मुश्किल आए। तभी इन तीन गुणों का आवश्यकतानुसार उपयोग हो।
Jay ho bhole baba ki
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