Saturday, March 23, 2013

kumbh


om namo narayan


Monday, February 11, 2013

Ulfat

Ulfat m hmesha aisa hota hai.
Aankhe hasti h dil rota h.
Mante h hum jinhe apni manzil.
Aksar unka humsafar koi aur hota h.

Thursday, February 7, 2013

Radhe Radhe


Tumhari is ada ka kya jawab du,
apne Radhey ko kya uphar du,
koi acha sa phool hota to mali se mangwate,
jo khud gulab hai usko kya gulab du..............
RAdhe Radhe

Thursday, January 31, 2013

तू है जहाँ

तू, तू है वही दिल ने जिसे अपना कहा
तू है जहाँ, मैं हूँ वहाँ
अब तो ये जीना, तेरे बिन है सज़ा
मिल जाएँ इस तरह, दो लहरें जिस तरह
फिर हो न जुदा, हाँ ये वादा रहा

मैं आवाज़ हूँ तो, तू है गीत मेरा
जहां से निराला मनमीत मेरा
मिल जाएँ इस तरह...

किसी मोड़ पे भी ना, ये साथ टूटे
मेरे हाथ से तेरा, दामन न छूटे
कभी ख्वाब में भी तू मुझसे न रूठे
मेरे प्यार की कोई खुशियाँ न लूटे
मिल जाएँ इस तरह...

तुझे मैं जहां की नज़र से चुरा लूँ
कहीं दिल के कोने में तुझको छुपा लूँ
कभी ज़िंदगी में पड़े मुश्किलें तो
मुझे तू संभाले, तुझे मैं संभालूँ
मिल जाएँ इस तरह...

राधा जले


मन में है राधे को कान्हा जो बसाये
तो कान्हा काहे को उसे न बताए
प्रेम की अपनी अलग, बोली अलग, भासा (भाषा) है
बात नैनों से हो, कान्हा की यही आसा (आशा) है
कान्हा के ये जो नैना हैं
जिनमें गोपियों के चैना हैं
मिली नजरिया, हुई बावरिया
गोरी गोरी सी कोई गुजरिया
कान्हा का प्यार किसी गोपी के मन में जो पले
किस लिये राधा जले, राधा जले, राधा जले
रधा कैसे न जले...

आरम्भ है प्रचंड


आरम्भ है प्रचण्ड, बोले मस्तकों के झुंड, आज ज़ंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या कि जान का हो दान आज इक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचण्ड…

मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले, वही तो एक सर्वशक्तिमान है
कृष्ण की पुकार है, ये भागवत का सार है कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है
कौरवों की भीड़ हो या पांडवों का नीड़ हो जो लड़ सका है वो ही तो महान है
जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं, क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं, तो मौत से भी क्यों डरें, ये जा के आसमान में दहाड़ दो
आरम्भ है प्रचंड…

वो दया का भाव, या कि शौर्य का चुनाव, या कि हार का वो घाव तुम ये सोच लो
या कि पूरे भाल पे जला रहे विजय का लाल, लाल यह गुलाल तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो या कि केसरी हो ताल तुम ये सोच लो
जिस कवि की कल्पना में, ज़िन्दगी हो प्रेम गीत, उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती मसों में आज, फूलती रगों में आज, आग की लपट का तुम बघार दो
आरम्भ है प्रचंड…